चाहे आप IAS की तैयारी शुरू करने की सोच रहे हैं, या सोचकर शुरू कर चुके है, दोनों ही स्थितियों में आपके लिए यह जानना अनिवार्य है कि “दरअसल, यह है क्या।” जिसे आप पाना चाहते हैं और जहाँ आप पहुँचना चाहते हैं, यदि आप उसके चरित्र को समझ लेते हैं तथा यात्रा के नक्शे से वाकिफ हो जाते हैं, तो पाना और पहुँचना अपेक्षाकृत आसान एवं सुनिश्चित हो जाता है।
मुझे नहीं लगता कि IAS की परीक्षा और इसमें सफल युवाओं के बारे में पूरे देश में जितनी चर्चा होती है, उतनी किसी और परीक्षा के बारे में होती होगी। इंजीनियरिंग, मेडिकल और सी ए के एन्ट्रेस एक्ज़ाम होते है। ये अखिल भारतीय स्तर की परीक्षायें हैं, और इनका क्रेज भी कम नहीं है। इनमें सफल होना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन उसके टॉपर्स अपने शहर तक और कुछ समय तक कोचिंग संस्थान के विज्ञापन तक सिमटकर रह जाते हैं। आई.आई.टी और आई.आई.एम. तक के टॉपर्स के कितने लोगों के नाम आपके जेहन में हैं ? और यदि मैं आपसे यही प्रश्न IAS के टापर्स के बारे में करू तो…?
वैसे तो जब से आप IAS की परीक्षा की तैयारी में लगते हैं, तभी से अपने मोहल्ले और कॉलोनी के लोगों (खासकर छोटे शहरों एवं कस्बों में) की उत्सुकता के केन्द्र बन जाते हैं। लेकिन जैसे ही आपका नाम टॉपर्स की सूची में दर्ज होता है, आप तुरंत स्टार बन जाते हैं। और यदि आप शुरू के दस लोगों में शामिल हैं, तब तो सुपर स्टार ही बन जाते हैं। अखबार और मीडिया आपकी ओर लपक पड़ते हैं। यू ट्यूब का तो कहना ही क्या है। लोग आपकी ओर हसरत भरी निगाहों से देखना शुरू कर देते हैं। युवाओं के कान आपको सुनने के लिए सतर्क हो जाते हैं।
IAS के मामले में ऐसा होता है, दूसरों के मामलों में क्यों नही, जबकि दूसरों का सामाजिक योगदान इनसे कहीं ज्यादा होता है।
इसका उत्तर सौरमंडल के ग्रह एवं उपग्रह के सिद्धांत में निहित है। IAS अपने आप में स्टार (तारा) होता है, जिसके पास स्वयं का प्रकाश होता है। संविधान एवं कानूनों के द्वारा उसको दिये गये अधिकारों एवं सुरक्षा को उससे तब तक कोई भी नहीं छीन सकता, जब तक कि वह अपने लिए निर्धारित पथ की परिक्रमा करता रहता है। वह उस पथ से (मर्यादा से) भटकता नहीं है।
अन्य के साथ ऐसा नहीं है। निजी क्षेत्रों में वे दूसरों के (अपने मालिक के) प्रकाश से प्रकाशित होते है, चन्द्रमा की तरह। यदि आप अपना ही कुछ करने लगे हैं, तो आपको अपने अंदर प्रकाश उत्पन्न करने के लिए एक लम्बी और कड़ी जद्दोजहद करनी पड़ती है, जैसे नारायणमूर्ति जैसे सम्मानित उद्यमी। फिर इस बात की भी कोई गारंटी नहीं होती कि आपकी मेहनत और आपका संघर्ष रंग ला पायेंगे, बावजूद इसके कि वहाँ आसमान से भी आगे जहां होता है।
IAS में क्या होता है ? ऐसा नही होता। जैसे ही आप बनते हैं, सबसे बड़े संघर्ष का दौर समाप्त हो जाता है। आप समाज द्वारा हाथी घोषित कर दिये जाते हैं, जिसकी कीमत के बारे में कहावत प्रचलित है कि, माफ कीजियेगा इस थोड़े से नकारात्मक कहावत के लिए कि “मरा हाथी भी सवा लाख का।” ‘सवा लाख‘ का आँकड़ा पचास साल पहले का है। इसे आज के हिसाब से सेट कर लें।
अगले लेख में अब हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि इसका IAS की परीक्षा की तैयारी के साथ क्या लेना-देना है।
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